जनकृति अंतरराष्ट्रीय पत्रिका लोकभाषा विशेषांक : छत्‍तीसगढ़ी




जनकृति अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के लोकभाषा विशेषांक, भाग-1 के अंतर्गत छत्तीसगढ़ी प्रभाग प्रकाशित. यह अंक आप पत्रिका की वेबसाईट www.jankritipatrika.com पर भी पढ़ सकते हैं. इस अंक में अभी छत्तीसगढ़ी में रचित रचनाओं, लेख, साक्षात्कार, उपन्यास अंक प्रकाशित किया गया है. इसके अतिथि संपादक संजीव तिवारी हैं. लोकभाषा विशेषांक के प्रथम भाग में भोजपुरी, मालावी, निमाड़ी, भीली, भिलाली, बारेली भी शामिल है, जिसका प्रकाशन भी इसी माह वर्तमान अंक में सम्मिलित किया जाएगा.
इस अंक की विषय सूची – संपादकीय: संजीव तिवारी, आलेख छत्तीसगढ़ी साहित्य में काव्य शिल्प-छंद: रमेश कुमार सिंह चौहान, भाषा कइसना होना चही?: सुधा वर्मा, यात्रा वृतांत वैष्णव देवी के दरसन: अजय अमृतांशु, कहानी लहू के दीया: कामेश्वर, परसू लोहार: डॉ. पारदेशीराम वर्मा, नियाँव: डॉ. पीसीलाल यादव, दहकत गोरसी: जयंत साहू, आजंत आजंत कानी होगे: सुशील भोले, तारनहार: धर्मेन्द्र निर्मल, बेंगवा के टरर टरर: विट्ठल राम साहू‘निश्छल’, मिटठू मदरसा (रविंद्रनाथ टैगोर की कहानी का छत्तीसगढ़ी अनुवाद): किसान दीवान, व्यंग्य त महूँ बनेव समाज सुधारक: आनंद तिवारी पौराणिक, अपराधी आश्रम में कवि सम्मलेन: कांशीपुरी कुन्दन, छूही के ढूढा: बांके बिहारी शुक्ल, दुर्योधन काबर फेल होथे ? मूल लेखक- प्रभाकर चौबे (हिंदी): अनुवादक- दुरगा प्रसाद पारकर, आवव बियंग लिखन- संजीव तिवारी, आलेख/जीवनी युगप्रवर्तक: हीरालाल काव्योपाध्याय- डॉ. पीसीलाल यादव नाटक चित्रगुप्त के इस्तीफा: नरेंद्र वर्मा, अनुवाद विष्णु भगवान् के पदचिन्ह (Marks of Vishnu)- खुशवंत सिंह: अनुवादक: कुबेर, पद्य- कविता/गीत डॉ. विमल कुमार पाठक, डॉ. जीवन यदु, आचार्य सरोज द्विवेदी, डॉ. पीसीलाल यादव, मुकुंद कौशल, बलदाऊ राम साहू, छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल मुकुंद कौशल, दोहा अरुण कुमार निगम, छत्तीसगढ़ी लोकगाथा अंश अहिमन कैना: संकलन- संजीव तिवारी, उपन्यास अंश आवा: डॉ. पारदेशीराम वर्मा





Related posts

One Thought to “जनकृति अंतरराष्ट्रीय पत्रिका लोकभाषा विशेषांक : छत्‍तीसगढ़ी”

  1. आपके संपादकीय बर आप ला अंतस ले बधाई संजीव भइया ।
    आप ‘लोकभाषा छत्तीसगढ़ी‘ के माध्यम ले पूरा दुनिया म छत्तीसगढ़ी साहित्य ल बगराये म एक ठन तारा कस चमकाये हव । पूरा पत्रिका म तइहा ले आजतक, जुन्ना ले नवा लिखईया तक, पुराना शिल्प छंद ले नवा शिल्प तक, साहित्य के काव्य विधा के संगे-संग जीवनी, नाटक, कहिनी, नाटक, उपन्यास सबो विधा ल शामिल करके ये संदेश देब म सफल होय हव के छत्तीसगढ़ी साहित्य कोनो नवसेखिइया नो हय । ये एक ठन जुन्ना अउ स्थापित भाषा हे ये बतावब आप सफल होय हव । आपके छत्तीसगढ़ी साहित्य के ये पोठलगहा काम बर आज ले एक फेर अंतस ले बधाई ।

Comments are closed.